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Sunday, December 9, 2012

"जाणता राजा" मधील औरंगजेबने ऐकवलेले शिवाजी राजांचे कौतुक


शिव् शाहिर बाबासाहेब पुरंदरे लिखित भव्य नाटक - "जाणता राजा" मधील मुग़ल बादशाह औरंगजेब ह्याने आपल्या मुलास ऐकवलेले शिवाजी राजांचे कौतुक अणि राज्य करायचे असेल तर शिवाजी सारखे चारित्र्य आचरणात आणन्याचा दिलेला सल्ला!



ये सब फिजूल ही शहजादे! चंगेज़ और तैमुर के खून ने कभी शिकस्त नही देखी! लेकीन आज कंदहार से कांजौर तक सारे हिंदुस्तान को मुघले-ए-सल्तनत में शामिल करणे का ख्वाब देखणे वाले महाबदोलत ये सब क्या देख रहें है! हमारी आंखो के सामने सिवाजी अपने सल्तनत की ताविद कर चूका है! हमारे लाखोँ की फ़ौज को शिकस्त देके खदेड़ दिया है उस सिवा ने!

ये हमारे मामूजा मिर्जा-आमिर-उल-उम्रा नवाब-ए-आलम शाहिस्ता खां साहब! सबसे शर्मनाक बात तो ये है शहजादे सिवा ने इनके लाल किले पे छापा मारकर इनके छक्के छुड़ा दिए! ये तो तकदीर के सिकंदर थे, की जान बच गई! सिर्फ तीन उंगलियाँ ही खोनी पड़ी इन्हें! हा हा हा हा हा! ये हमारे सिपहसालार जसवंत सिंह, जोधपुर के महाराजा! मराठो के मार के जखम इन्होने छाती पे नहीं, पीठ पे खाएं हैं! ये हैं सूरत के खुबसूरत सुभेदार इनायत खान बहादुर! सिवाजी सूरत आये तो ये दुम दबा कर के भाग गए! ये हैं हमशी फौलाद खान! इनके हथेली पे मिठाई धर के सिवाजी आगरा के कैद खाने से फरार हो गए! हमारे सारे मनसुबोँ को खाक में मिला दिया इस फौलाद खां ने! बेतहाशा लश्कर होते हुए भी मैदान छोडके भागने वाले ये हैं हमारे कारतुलब खां! ये हैं नामदार खां! ये तुर्कताज खां! ये बूंदी महाराज हौन्सी गाडा! ये रणमस्त खां! ये केसर सिंह! ये सय्यद पुनवर खां! तमाम सारे राजपूत, बुन्देल, पठान, मुग़ल, तुर्क, ईरानी, बग़दादी, अरबी, हफसी, कजाकी, उज्बेगी और फिरंगी फ़ौज बनसरदार, जिन्हें सिवाजी ने शिकस्त दी! सारी  इज्जत मिटटी में मिला दी!

हाँ! हाँ! तौबा! तौबा! क्योँ? क्योँ सिवाजी को फ़तेह हाशिल हुई? हमारी तरह फ़ौज, बारूद, तोफखाना, खजाना, हाथी, घोड़े, सिवाजी के पास नहीं हैं! फिरभी फ़तेह हाशिल होती है उसे! क्योँ, ये मालूम है तुम्हे शहजादे? शायद तुम ये कभी समज़ नहीं पाओगे शहजादे! औरत, शराब, नाच, गाने,  शिकार, मौज-मस्ती और इश्को-मुहब्बत में गिरफ्तार तुम जैसे बहाद्दुर सिवा को कभी समज़ नहीं पाओगे!इस सिवाजी ने मजबूत किले बनाये! अपनी फ़ौज और अरसला बधाई! नए जंग-ए-बेहरित की ताविद की है उसने! लेकिन उससे भी जादा, न जीते जाने वाले लोग तैयार किये हैं उसने! हमने सिवाजी के सरदारोँ को लाखोँ के जहागीर लालच दिया! लेकिन उन जांबाज़ मराठो ने हमारी जहाँगीर पर थूक दिया! वोह जुकते, वोह रुकते नहीं, वोह थकते नहीं और वोह बिकते भी नहीं! सिवाजी ख़ाक है! चालाख है! दगाबाज है! नामाकूं है! मग्रुर है! बद्ग़ार है! लेकिन उसका चाल चलन दूध की तरह साफ़ और सूरज की तरह चमकदार है! शहज़ादे, दुश्मन के भी मजहब, मस्जिद, मौलवी, फ़कीरो और औरतो की इज्ज़त करना जानता है वोह! तभी तो उसकी इज्ज़त, बुलंद मीनार की तरह सर उठाये आस्मां को छु रही है! इसमे कोई शक नहीं के हम खुशनसीब हैं! हमें दुश्मन भी मिला तो सिवा जैसा! शहजादे, हुकूमत करनी है तो सिवा का चलन सीखो! मगर कुछ भी हो, है तो वोह हमारा दुश्मन! हमें उसे नेस्तनाबूत करना है! हमारी पूरी ताकत लगाके उससे जुजना है! यही खुदा का हुकुम है! 

दिन! दिन! दिन!

धन्यवाद्!
एक शिवभक्त!

3 comments:

  1. Thanks a lot dear sharing valuable msg for us.

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  2. छत्रपती शिवाजी महाराज की जय

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  3. धन्यवाद भाऊ!
    जय शिवराय 🙏🏻🚩

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